डी .सी.एम की टक्कर से स्कूली बच्चों को ले जा रहे ई रिक्शा चालक सहित एक बच्ची की हुई मौत



मामला फतेहपुर जनपद के बिन्दकी नगर का है जहां पर सुनील पाल नाम का ई रिक्शा चालक नगर में बने सीपीएस विद्यालय के बच्चों को लेकर स्कूल जा रहा था तभी तेज रफ्तार डीसीएम ने सामने से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि मौके पर यू.के.जी में पढ़ने वाली 5 वर्षीय सृष्टि नाम की छात्रा एवं ई रिक्शा चालक की  दर्दनाक मौत हो गई। जिससे आसपास लोगों की भारी भीड़ लग गई,आपको बताते चलें कि डीसीएम चालक गाड़ी छोड़ कर मौके से फरार भी हो गया। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस प्रशासन ने घायल बच्चों को बिन्दकी नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया। इस घटना के बाद लोगों में आक्रोश भी देखने को मिला। वहीं दूसरी तरफ मृत छात्रा के परिजन रो रो कर बेहाल हो रहे हैं।घायल छात्रों का इलाज जारी है जिसमें एक छात्र की हालत गंभीर देखते हुए कानपुर रेफर किया गया है। इस संबंध में जब सीपीएस बिन्दकी के प्रधानाचार्य नितिन तिवारी से बात की गयी तो उनके द्वारा बताया गया की रिक्शे में कुल छ: बच्चे सवार थे जिसमें सृष्टि व ई रिक्शा चालक जिसका नाम सुनील पाल बताया ja रहा है की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गयी तो वहीं अदिति जो कि कक्षा सात की छात्रा है जिसे उनके परिजन कानपुर इलाज के लिए ले गये तो वहीं एक बच्चा जिसका नाम कार्तिक कक्षा सात उम्र लगभग 11 वर्ष,दैविक गौतम कक्षा चार उम्र लगभग 08 वर्ष,वैभवी कक्षा पांच उम्र लगभग 08 वर्ष,को घायल अवस्था में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिन्दकी में भर्ती कराया गया है तो वहीं एक बच्चा रुद्र जिसकी उम्र लगभग 05 वर्ष जो कि कक्षा एक का छात्र है जो कि स्वस्थ्य है जिसे सकुशल घर भेज दिया गया है 

 अब सवाल तो यह खड़ा हो रहा है कि
आखिर क्यों नहीं लग रहा तेज रफ्तार पर ब्रेक? क्यों स्कूली बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा जिला प्रशासन? बिन्दकी नगर के अंदर आखिर क्यों दी जा रही भारी वाहनों को आने की अनुमति? कैसे निजात मिलेगी नगर की जनता को यदि भारी वाहनों का प्रवेश दिन के समय में वर्जित कर दिया जाए तो कुछ हद तक हादसों पर नियंत्रण किया जा सकता है ऐसे भारी वाहनों को देर रात दस बजे से सुबह पांच बजे तक ही नगर से गुजरने की अनुमति दी जानी चाहिये उसके बाद पूर्ण रूप से प्रवेश वर्जित कर दिया जाए तो कुछ हद तक हादसे को नियंत्रण किया जा सकता है तो वहीं ऐसे धर्म काँटा जो स्कूली बच्चों के स्कूल के रास्ते में पड़ते हैं उन्हें भी दिन के समय पूर्ण रूप से बन्द रखने का आदेश दिया जाना अति आवश्यक है ताकि भारी वाहनों की वजह से लगने वाले जाम में फंसने वाले मासूम बच्चों को इस समस्या से निजात भी मिलेगी साथ ही उनकी सुरक्षा भी बनी रहेगी ऐसे धर्म काँटों जो मुख्य मार्गों में होने के कारण नगर में जाम का कारण बने हुए हैं उन्हें दिन की बजाय रात में संचालित किये जाने का आदेश जनहित में दिया जाना नितांत आवश्यक है परंतु ऐसा कर पाना सम्भव नहीं क्योंकि बात हिस्से की है जो चैन नीचे से ऊपर तक चलती है बकरा कटेगा तो सबमें बंटेगा पड़ी लकड़ी आज के समय में लेना भला किसको अच्छा लगता है यदि ऐसे में अब भी ऐसे अभिभावक जिनके नन्हे मुन्ने बच्चे जो कि घर से स्कूल पढ़ने के लिए तो निकलते हैं परन्तु लौटकर वापस घर नहीं आते हैं ऐसे अभिभावकों,स्कूल व कॉलेजों के मैनेजमेंटोंं को आगे आकर सत्ता में बैठे ऐसे जनप्रतिनिधियों से कड़े अल्फाजों के साथ अपनी माँगो को रखना चाहिए जो कि जनहित से जुड़ी हो ताकि ऐसे जनप्रतिनिधियों को एहसास हो सके की हम जनता से हैं जनता हमसे नहीं  साथ ही ऐसे स्कूल व कॉलेजों को यह भी ध्यान रखना होगा कि ऐसे नेता जो सत्ता की दलाली करते हों जिस जनता से वोट लेकर वो उस मुकाम तक पहुंचे हों यदि वह उन्हीं जनता की समस्या को हल नहीं कर सकता है तो ऐसे नेताओं को स्कूलों व कॉलेजों में उनसे रिबन कटवाना तो दूर उनका प्रवेश ही वर्जित कर देना चाहिए क्योंकि की बच्चे किसी के भी हो सकते हैं हादसा किसी के भी साथ हो सकता है हादसे बताकर नहीं होते तो वहीं नौकरशाह अफसरों पर भी लगाम कसनी जरूरी है फिर चाहे वह अफसर जिले का हो या फिर नगर क्षेत्र अंतर्गत का हो जो खुद को अफसर समझते हैं लेकिन वह यह भूल गये कि वह सिर्फ एक नौकर हैं वो भी जनता के जिन्हें पब्लिक सर्वेंट कहा जाता है जनता की सेवा करना उनका प्रथम कर्तव्य है लेकिन 2014 से सत्ता परिवर्तन के बाद इन्होंने खुद को ही अफसर और मालिक सब कुछ ही समझ लिया है ऐसे अफसरों से अपनी जायज मांगों को रखकर इनसे काम लें अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब नौकर मालिक और मालिक नौकर बन जायेगा जैसा की आजकल नौकर शाह अफसर सत्ता के एजेंट बनें उनके जनप्रतिनिधियों के आगे पीछे जी हुजूरी करते दिखाई पड़ते हैं उन्हें जनता व जनता की समस्या से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं ऐसे नौकरशाह अफसरों पर समय समय पर इनकी लगाम कसना बहुत जरूरी है नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब लोग नौकर और नौकरशाह अफसर मालिक बन आम जनता के साथ तानाशाही के साथ पेश आयेगी!

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